यह लेखअविनाश जी की डिमांड पर मोहल्ले के लिए जल्दबाजी में लिखा था। आप भी पढ़ें- संदीप
कभी कभी ही ऐसा होता है कि हम कर्मचारी से इंसान हो जाते हैं अचानक।
आज शाम जब ऑफिस पहुंचा, सचिन 165 पर खेल रहे थे। रेल बजट देखा रहाथा कि एक साथी ने बताया सचिन 175 पर पहुंच गया है। पीछे टीवी की ओरनजरें डाली। पूरा ऑफिस तल्लीन है। मैं भी देखने लगा। अचानक सचिन केदिसंबर में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ बनाये 175 रन याद आये और याद आये प्रभाषजी।
सचिन 196 पर पहुंच गये हैं। मैंने मोबाइल पर ‘सचिन के 200 रन पूरे’ का मैसेज तैयार कर कई दोस्तों के नामसेट कर दिये हैं।
एक दोस्त का फोन आता है किसी अननोन नंबर से। कहता है देहात में हूं, क्या सचिन के 200 रन पूरे हो गये। मैंकहता हूं, नहीं यार, एक रन चाहिए। ये धोनी का बच्चा स्ट्राइक ही नहीं दे रहा। वो कहता है मैं फोन पर रहूंगा। मुझेमहसूस करना है सचिन का दोहरा शतक।
आखिरी ओवर की तीसरी गेंद। सचिन का दोहरा शतक पूरा। दिल धड़ाके मार रहा है। तालियों की गड़गड़ाहट। शोरमें मैं संज्ञा शून्य हो गया हूं। आंख भर आयी है। प्रभाष जी कहां हो आप… देख रहे हो न अपने लाडले का कमाल! सोच रहा हूं कल का जनसत्ता कैसा होगा? पढ़ भी पाऊंगा या नहीं।
एक बार एक साथी ने कहा था, प्रभाष जी की मौत को क्रिकेट से जोड़ कर तुम उनके योगदान का अपमान कर रहेहो। मैं उससे क्या कहता… कि क्रिकेट और सचिन को लेकर उनकी आस्था और मोह सारे तर्कों से परे था।
4 comments:
bahot accha likha he hamne b sachin ko kirtiman rachte huwe dekha or amit sir se samose ki party b le li
शानदार
आंखें भर आई हैं प्रभाष जी को याद करके।
भैया सही में प्रभाष जी बहुत खुश होंगे, सचिन ने उनके साथ पूरे देश को खुश किया है
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