जानलेवा खेल

रात एक बजे
जाने किस मूड में भेजे गए उस इमेल को
सुबह संभलने के बाद उसने ख़ारिज कर दिया है

ये जिन्दगी है
लव आज कल नहीं
वह कहती है
मैं कहना चाहता हूँ की जिन्दगी
राजश्री बैनर का सिनेमा भी तो नहीं

प्यार चाहे मुख़्तसर सा हो या लम्बा
उससे अपरिचित हो पाना बस का नहीं
चाहे वो शाहिद करीना हों या मैं और वो

तुम शादी कर लो
उसने प्रक्टिकल सलाह दी थी
उंहू...
पहले तुम मैंने कहा था

हमारा क्या होगा
ये सवाल हमारे प्यार करने की ताकत छीन रहा था
हमने अपनी आंखों में आशंकाओं के कांटे उगा लिए थे
आकाश में उड़ती चील की तरह कोई हम पर निगाहें गडाए था
मेरे लिए अब उसे प्यार करने से ज्यादा जरूरी
उस चील के पंख नोच देना हो गया था
लेकिन मैं कुछ भी साबित नहीं करना चाहता था
न अपने लिए न उसके लिए

मुझे अब इंतज़ार था
शायद किसी दिन वो वह सब कह देगी
मैं शीशे के सामने खड़ा होकर अभिनय करता
की कैसे चौकना होगा उस क्षण
ताकि उसे ये न लगे की
अप्रत्याशित नहीं ये सब मेरे लिए

हर रोज जब वो मुझसे मिलती
मेरी आँखों में एक उम्मीद होती
लेकिन वह चुप रही
जैसे की उसे पता चल गया था सारा खेल

ये जानलेवा खेल
बर्दाश्त के बाहर हो रहा है
उम्मीद भी अँधा कर सकती है
ये जान लेने के बाद मेरी घबराहट बढ़ गयी है...
(अधूरी...)

10 comments:

शशिभूषण ने कहा…

कविता अच्छी लगी.प्यार का भी एक दिन गुज़र जाना नियति है या सच कभी कभी सोचता हूँ...

Udan Tashtari ने कहा…

उम्मीद भी अँधा कर सकती है
ये जान लेने के बाद मेरी घबराहट बढ़ गयी है...

-अच्छी रचना.

चन्दन ने कहा…

चौंकने का अभिनय और फिर उसका भी धोखईल रियाज!
उम्दा कविता। आखिरी के तीन पैरा बहुत सुन्दर।

Rangnath Singh ने कहा…

यह मामला जानलेवा तो है ही....

saloni ने कहा…

aap jara aaj mujh se mil me sandeepji. jara ru-ba-ru hokar he aapko comment karunge. (ishq ka jor hai bhai par...)

संदीप कुमार ने कहा…

चंदन धोखइल शब्द का इस्तेमाल बहुत सुंदर किया तुमने यार ।
रंगनाथ जी इसमें तो खैर कोई शक नहीं

kundan pandey ने कहा…

sir kavita me chil aur us se meri dusmani....kya kahe kuch v tai kr pana itna aasan v kaha hota hai. hum tai jarur karte hai pr sath me e ummed v bni rehti hai ke humara tai kiya hua kash jhuth sabit ho jaye..aur fir...badhiya sir..pr adhuri kyo hai..

संदीप कुमार ने कहा…

अधूरी इसलिए कुंदन क्योंकि इसे आगे लिखना है। एक सिटिंग में इतनी लिखी और फिर साझा किए बिना नहीं रहा गया।

डिम्पल मल्होत्रा ने कहा…

dono hi practical lag rahe the pahle tum shadi kar lo..interesting

अखिलेश चंद्र ने कहा…

phle aap phle aap men kahin shaadi ki umr na nikal jaaye!!