tag:blogger.com,1999:blog-7921784057314610806.comments2023-08-03T17:41:29.390+05:30दिल-ए-नादाँसंदीप कुमारhttp://www.blogger.com/profile/01263206934797267503noreply@blogger.comBlogger490125tag:blogger.com,1999:blog-7921784057314610806.post-65720468642293833902019-03-28T18:39:18.310+05:302019-03-28T18:39:18.310+05:30बेहतरीन
बहुत खूब!
HindiPandaबेहतरीन<br />बहुत खूब!<br /><br /><a href="https://www.Hindipanda.com" rel="nofollow">HindiPanda</a><br />Anu Shuklahttps://www.hindipanda.com/top-10-hot-and-beautiful-female-anchors-of-ipl/noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7921784057314610806.post-28966681653437367162018-07-17T16:55:52.138+05:302018-07-17T16:55:52.138+05:30ज्ञान को गेंद कर दंड को सुर्त कर
खेल चौगान-मैदान म...ज्ञान को गेंद कर दंड को सुर्त कर<br />खेल चौगान-मैदान माही।<br />जगत का भरमना छोड़ दे बालके<br />आय जा भेष -भगवंत पाहीं।।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/03798142945403929920noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7921784057314610806.post-11544820558237324142014-10-18T19:30:36.993+05:302014-10-18T19:30:36.993+05:30आपका ब्लॉग मुझे बहुत अच्छा लगा। मेरा ब्लॉग "न...आपका ब्लॉग मुझे बहुत अच्छा लगा। मेरा ब्लॉग "नवीन जोशी समग्र"(http://navinjoshi.in/) भी देखें। इसके हिंदी ब्लॉगिंग को समर्पित पेज "हिंदी समग्र" (http://navinjoshi.in/hindi-sam... पर आपका ब्लॉग भी शामिल किया गया है। अन्य हिंदी ब्लॉगर भी अपने ब्लॉग को यहाँ चेक कर सकते हैं, और न होने पर कॉमेंट्स के जरिये अपने ब्लॉग के नाम व URL सहित सूचित कर सकते हैं।डॉ. नवीन जोशी https://www.blogger.com/profile/00241771195794155961noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7921784057314610806.post-64650846708435440782013-11-11T21:12:42.504+05:302013-11-11T21:12:42.504+05:30मन्ना डे के कई अनछुए पहलुओं को जाना मैंने आपकी इस ...मन्ना डे के कई अनछुए पहलुओं को जाना मैंने आपकी इस पोस्ट से , जैसा कि उनकी पहलवानी वाली रुचि । मन्ना दा का जाना भारतीय संगीत के एक युग की समाप्ति का है :) :) अजय कुमार झाhttps://www.blogger.com/profile/16451273945870935357noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7921784057314610806.post-7852310112298725992012-12-27T01:18:36.997+05:302012-12-27T01:18:36.997+05:30alhada.....
alhada.....<br />Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7921784057314610806.post-22464751383116374922012-03-18T06:33:34.058+05:302012-03-18T06:33:34.058+05:30सफलता की कुछ न कुछ वजह तो होती ही है .. आपके इस मह...सफलता की कुछ न कुछ वजह तो होती ही है .. <a href="http://blog4varta.blogspot.in/2012/03/4_18.html" rel="nofollow"><b>आपके इस महत्वपूर्ण पोस्ट से हमारी वार्ता समृद्ध हुई है </b></a>संगीता पुरी https://www.blogger.com/profile/04508740964075984362noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7921784057314610806.post-33429510167064759972012-01-20T13:03:40.089+05:302012-01-20T13:03:40.089+05:30भाई संदीपजी,
आपने जिस अपनापे के साथ यह टिप्पणी लिख...भाई संदीपजी,<br />आपने जिस अपनापे के साथ यह टिप्पणी लिखी है, उस पर अगर मैं शुक्रिया अदा करुंगा तो आपका स्नेह छोटा हो जाएगा। आपने जिस शिद्दत से रीवा और इंदौर के समय को याद किया है, मेरी कविताई और रंगकर्म को याद किया है, वह आप जैसा संवेदनशील कवि और दोस्त ही कर सकता है। यह तो आपका बड़प्पन है कि आपने इस नाचीज को कभी नायक समझा था और जमाने के सामने कुबूल कर लिया, वरना तो इस निर्दयी समय में नायक को खलनायक बनाने में देर नहीं लगती। दोस्त को दुश्मन की तरह मारने में वक़्त नहीं लगता। मैं रीवा में रहते हुए जितना कर सका, उसमें आप जैसे दोस्तों का साथ था, सपनीली आंखें थीं, दिल में मचलते हुए शोले थे। कुछ दुश्मन थे, जो लगातार मांजते रहते थे, लगातार मजबूत होने के लिए उकसाते रहते थे। आज भी अगर कोई सोच, कोई कविता, कोई व्यंग्य, कोई नाटक अपने पास तक आता है तो यकीन मानिये आप जैसे दोस्तों के जरिये ही आता है। कभी अच्छा बनता है तो कभी बुरा। भाई शशिभूषण ने जब अदम के साथ मेरा नाम जोड़ा था तब भी मैने यही कहा था कि उस जनकवि के साथ मेरा नाम जोड़कर मेरे सिर पर जिम्मेदारियों का पहाड़ रख दिया है। अपनी कोशिश तो यह है कि जिनको पढ़कर बड़े हुए हैं, जिस समाज में जीकर बड़े हुए हैं, उसका कुछ ऋण अगर उतार सकें तो उतार दें। आपकी दृष्टि में अगर मेरे दोहे और मेरी कविता कहीं कुछ अपील करने लायक हैं, तो यही अपनी सार्थकता है। यह कविता केवल मेरी नहीं है, हमारे-आपके संघर्षों की कविता है। आप अगर कुरेदते रहेंगे, चिकोटी काटते रहेंगे, जगाते रहेंगे तो मुमकिन है कि मेरे भीतर की रचनात्मकता बची रहेगी।<br />आपका <br />ओम द्विवेदीओम द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/13331247404848693696noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7921784057314610806.post-84050720020191584932011-12-18T22:43:16.291+05:302011-12-18T22:43:16.291+05:30font size bahut chhota hai.Padhne men bahut paresh...font size bahut chhota hai.Padhne men bahut pareshani hui...........isliye poora padh bhi nahin paaya.अखिलेश चंद्रhttps://www.blogger.com/profile/09848906103236569590noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7921784057314610806.post-9991408225588044292011-10-13T15:41:29.056+05:302011-10-13T15:41:29.056+05:30likelikeDharmendra Singh Baghelhttps://www.blogger.com/profile/15178362064758921268noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7921784057314610806.post-70441942134058428712011-10-13T14:19:11.074+05:302011-10-13T14:19:11.074+05:30जब भाषा अधिक हो जाए तो वह चैटर में बदल जाती है। हर...जब भाषा अधिक हो जाए तो वह चैटर में बदल जाती है। हर कोई बोल रहा है। बड़बड़ा रहा है।<br />चैटर में सारे, विशेषण, शब्द व अनुप्रास खप जाते हैं। लेकिन गंभीर डिस्कोर्स जिसमें साहित्य भी एक है। वहां भाषा खर्च नहीं हो रही है। <br />....उपियोगी और जानकारी पूर्ण साक्षात्कार ...धन्यवादवंदना शुक्लाhttps://www.blogger.com/profile/16964614850887573213noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7921784057314610806.post-59168152220950374972011-10-13T09:01:57.941+05:302011-10-13T09:01:57.941+05:30thanx for sharing .......memorable talks..thanx for sharing .......memorable talks..Sonroopa Vishalhttps://www.blogger.com/profile/13054319903540240654noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7921784057314610806.post-6650253842235878862011-10-07T11:03:45.783+05:302011-10-07T11:03:45.783+05:30भैया ! बहुत बहुत धन्यवाद ...!लाजवाब बातचीत !!!भैया ! बहुत बहुत धन्यवाद ...!लाजवाब बातचीत !!!सुशीला पुरीhttps://www.blogger.com/profile/18122925656609079793noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7921784057314610806.post-417507073171990332011-10-06T23:06:24.955+05:302011-10-06T23:06:24.955+05:30बहुत आभार इस साक्षात्कार को शेयर करने हेतु। अच्छा ...बहुत आभार इस साक्षात्कार को शेयर करने हेतु। अच्छा लगा इसे पढ़ना।सतीश पंचमhttps://www.blogger.com/profile/03801837503329198421noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7921784057314610806.post-52298537942167310142011-08-14T13:03:38.232+05:302011-08-14T13:03:38.232+05:30Nice post.
स्वाधीनता दिवस की ढेर सारी शुभकामनाएं ....Nice post.<br />स्वाधीनता दिवस की ढेर सारी शुभकामनाएं .Ankit pandeyhttps://www.blogger.com/profile/11393165744990605962noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7921784057314610806.post-74954722543412406332011-04-06T17:52:25.948+05:302011-04-06T17:52:25.948+05:30लाजवाब है। सचमुच किसी कवि के अंदर से एक एक शब्द कि...लाजवाब है। सचमुच किसी कवि के अंदर से एक एक शब्द किस तरह कविता का रूप ले लेता है इसको अहसास करना बड़ा मुश्किल काम है। किसी चित्रकार को केनवास पर रंग उकेरते हुए चित्र बनते हुए देखा जा सकता है लेकिन किसी कवि द्वारा अपनी भावनाओं को शाब्दिक रूप देना शायद कोई नहीं देख सकता है। वैसे कविता के बारे ज्यादा टिप्पणी क्या करूं क्योंकि मै इस लायक नहीं हूं।Bikash Raonoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7921784057314610806.post-91534601510155882142011-04-06T16:56:13.730+05:302011-04-06T16:56:13.730+05:30संदीप, लोग मुझे अक्सर उलाहना देते हैं कि तुम यादों...संदीप, लोग मुझे अक्सर उलाहना देते हैं कि तुम यादों को हमेशा शर्ट की जेब में रखते हो लेकिन आज मुझे इस उलाहने से प्यार हो गया। विनीत तिवारी भाई भी मेरी जमात में शामिल हो गए हैं। अलग बात है कि वे यादों में भी कविता ढाल देते हैं। बेहद रोचक संस्मरण।यात्रा के दौरान इस तरह के संस्मरण को लिखना आसान नहीं है। हर शब्द कवि से जुड़ा है और हर वाक्य खुद में मुक्कमल कविता। फिर से शुक्रिया।Girindra Nath Jha/ गिरीन्द्र नाथ झाhttps://www.blogger.com/profile/12599893252831001833noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7921784057314610806.post-33845014937342067112011-03-30T12:03:12.573+05:302011-03-30T12:03:12.573+05:30बहुत खूब। सच बात तो यह है कि काम कोई भी हो और कहीं...बहुत खूब। सच बात तो यह है कि काम कोई भी हो और कहीं भी हो लेकिन अगर आदमी अपने अंदर की खूबसूरती को पहचान कर उसके अनुरूप जीना सीख ले तो आस पास का खराब माहौल भी कुछ बिगाड़ नहीं सकता। फिर तो काम बोझ या परेशानी नहीं आनंद का विषय बन जाता है। अनिल कुमार जी के अंदर खूबसूरत विचार हैं और जो उन्हें आगे बढऩे की प्रेरणा देता है। यही बात उनकी गजल में दिख भी रही है।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7921784057314610806.post-20754607125538062572011-03-30T12:03:10.965+05:302011-03-30T12:03:10.965+05:30बहुत खूब। सच बात तो यह है कि काम कोई भी हो और कहीं...बहुत खूब। सच बात तो यह है कि काम कोई भी हो और कहीं भी हो लेकिन अगर आदमी अपने अंदर की खूबसूरती को पहचान कर उसके अनुरूप जीना सीख ले तो आस पास का खराब माहौल भी कुछ बिगाड़ नहीं सकता। फिर तो काम बोझ या परेशानी नहीं आनंद का विषय बन जाता है। अनिल कुमार जी के अंदर खूबसूरत विचार हैं और जो उन्हें आगे बढऩे की प्रेरणा देता है। यही बात उनकी गजल में दिख भी रही है।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7921784057314610806.post-46635025009797099332011-03-13T23:11:46.897+05:302011-03-13T23:11:46.897+05:30संदीप जी, बहुत ही सुंदर संग्रह है आपका..कुछ आलेख ओ...संदीप जी, बहुत ही सुंदर संग्रह है आपका..कुछ आलेख ओर कविताएँ आज पढ़ी, <br />पाश की कविताओं को आपके यहाँ पढकर मजा आ गया. बाकी धीरे-धीरे पढूंगा..आप ऐसे ही लिखते रहे..मेरी ओर से ढेर सारी शुभकामनाएँ.KESHVENDRA IAShttps://www.blogger.com/profile/08624176577796237545noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7921784057314610806.post-63726060709198661522011-02-10T14:56:26.041+05:302011-02-10T14:56:26.041+05:30sandeep
निरस फिल्म की अच्छी समीक्षा
मैंने तुम्मारे...sandeep<br />निरस फिल्म की अच्छी समीक्षा<br />मैंने तुम्मारे साथ बैठकर फिल्म धोबी घाट देखी। तब वाकई फिल्म बेहद निरस और उबाऊ लगी थी। लेकिन समीक्षा पढऩे के बाद कोई भी इसे जरूर देखना चाहेगा। यहां तक कि मुझे भी फिल्म के बारे में अलग नजरीये से सोचना पड़ा। इस लिए मैं एक पंक्ति में तुम्हारी फिल्म समीक्षा पर टिप्पणी करुं तो वह है-निरस फिल्म की रसदार समीक्षा। लाजवाब है, धोबी घाट फिल्म नहीं, समीक्षा। <br />विकासविकास रावhttps://www.blogger.com/profile/14201189910107655486noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7921784057314610806.post-45114396225506141022011-02-05T16:55:39.271+05:302011-02-05T16:55:39.271+05:30आजकल अच्छी राजनीति कौन सी पार्टी कर रही हैं?? :)आजकल अच्छी राजनीति कौन सी पार्टी कर रही हैं?? :)Satish Chandra Satyarthihttps://www.blogger.com/profile/09469779125852740541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7921784057314610806.post-91752157404752254732011-01-30T16:35:43.138+05:302011-01-30T16:35:43.138+05:30संदीप मैंने अबतक धोबी घाट नहीं देखी है। इसलिए जल्द...संदीप मैंने अबतक धोबी घाट नहीं देखी है। इसलिए जल्दबाजी में कुछ भी प्रतिक्रिया नहीं दूंगा लेकिन बकौल तुम्हारे अनुभवों के यह कह सकता हूं कि धोबी घाट टुकड़ो में बिखरा एक लघु नाटिका की तरह है।Girindra Nath Jha/ गिरीन्द्र नाथ झाhttps://www.blogger.com/profile/12599893252831001833noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7921784057314610806.post-58787097826959213922011-01-30T13:40:59.655+05:302011-01-30T13:40:59.655+05:30सतीश जी, भाजपा इतनी गंदी राजनीति करती है कि उससे द...सतीश जी, भाजपा इतनी गंदी राजनीति करती है कि उससे देश भर में अशांति फैल जाए। चाहे वह मंदिर मसला हो, चाहे झंडा मसला। आज लोगों को भरपेट भोजन नहीं मिल रहा है, महंगाई चरम पर है, हर मंत्रालय आकंठ भ्रष्टाचार में डूबा है। असल मसलों का हवा निकालने के लिए भाजपा ने यह नौटंकी की। आप सही कह रहे हैं कि कश्मीर के लोगों की चिंता नहीं है सरकार को। सरकार की नीति समझ में आती है क्या? आखिर कश्मीर को इतनी आर्थिक मदद क्यों देती है केंद्र सरकार? वहां का हर पत्थरबाज सरकार से तनख्वाह लेता है। नौकरी की चिंता नहीं है, लोग जानते हैं कि भारत को जितनी गालियां दी जाए, सरकार उतना ही पैसा राज्य में झोंकेगी। <br />लेकिन इसके चलते भाजपा की नौटंकी कैसे बर्दाश्त कर ली जाए? अब तो सब स्पष्ट हो गया। भाजपा भी जीत गई, कांग्रेस भी जीत गई। देश के आम आदमी को क्या मिला?Satyendra PShttps://www.blogger.com/profile/06700215658741890531noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7921784057314610806.post-25586251760457052362011-01-28T17:06:42.454+05:302011-01-28T17:06:42.454+05:30@सत्येन्द्र जी,
अगर आप मेरी टिप्पणी देखें तो मैंन...@सत्येन्द्र जी, <br />अगर आप मेरी टिप्पणी देखें तो मैंने पहली पंक्ति में ही यह लिखा है कि "इसमें किसी को शक नहीं कि भाजपा का यह कदम कोइ देशप्रेम नहीं एक राजनीतिक लाभ उठाने का हथकंडा है".... मैं खुद धार्मिक सद्भाव और शान्ति का प्रबल समर्थक हूँ... पर मैं आपके इस मत से सहमत नहीं हूँ कि लाल चौक पर झंडा फहरा देने से दुनिया को कश्मीर के भारत का अंग होने पर शक हो जायेगा... बल्कि ये शक तो हमारी उन सरकारों की थोथरी और नपुंसक नीतियों के कारण पैदा हो रहा है जो लाल चौक का नाम लेते ही मिमियाने लगती हैं... वोट की राजनीति के कारण कश्मीर के अलगाववादियों को पाला जा रहा है... वरना आपको लगता है कि भारतीय सेना कश्मीर को पाकिस्तान के किराए के टट्टुओं से छुटकारा दिलाने में अक्षम है? और क्या आपको लगता है कि जम्मू-कश्मीर और दिल्ली की सरकारें लाल चौक पर झंडा फहराने को लेकर इसलिए बौखलाए हुए हैं कि उन्हें कश्मीर के लोगों की शान्ति और सुकून प्रिय है? इसके पीछे कोइ राजनीति नहीं है? अगर सरकार को वास्तव में कश्मीर के लोगों की शान्ति और सुकून प्रिय होता तो वह कश्मीर के लोगों के दुःख-दर्द को कम करने की कोशिश करती, उनसे सौतेला व्यवहार न हो ऐसा प्रयास करती.. और अगर वो ऐसा करती तो उसे यह चिंता न करनी पड़ती कि कोइ लाल चौक पर झंडा फहराएगा तो क्या हो जायेगा... ये तो वही हुआ कि किसी के पैर में चोट हो तो उसको दवा मत दो.. औरों को हडकाते रहो कि उसके पैर को मत छूना .. पैर में दर्द होगा... इससे रोगी को लगेगा कि अगला आदमी उसका सबसे बड़ा शुभचिंतक है..Satish Chandra Satyarthihttps://www.blogger.com/profile/09469779125852740541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7921784057314610806.post-84159342726659556002011-01-27T21:13:15.107+05:302011-01-27T21:13:15.107+05:30आपने अच्छा इशारा किया है फिल्म में निजी भावनाएं ...आपने अच्छा इशारा किया है फिल्म में निजी भावनाएं जरूर मिली जुली हैं अन्यथा इतनी गहन अभिव्यक्ति मुश्किल ही थी !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.com