मुहाजिरनामा


मुहाजिर का अर्थ है एक जगह से उखड़कर दूसरी जगह नए सिरे से बसने वाला। इस तरह देखें तो हम सब के भीतर कहीं एक मुहाजिर बैठ हुआ है। मुंबई से मालवा तक मुहाजिरों की एक परंपरा सी बन गयी है. कोई बाखुशी मुहाजिर का चोला ओढ़ रहा है तो किसी के के लिए शब्द मजबूरी और शर्म का सबब है.
मुनव्वर राना की नज़्म मुहाजिर का एक हिस्सा पेशे नजर है मेरे दिल के बेहद करीब है ये नज़्म-



मुहाजिर हैं मगर हम एक दुनिया छोड़ आए हैं
तुम्हारे पास जितना है हम उतना छोड़ आए हैं

कहानी का ये हिस्सा आजतक सब से छुपाया है
कि हम मिट्टी की ख़ातिर अपना सोना छोड़ आए हैं

नई दुनिया बसा लेने की इक कमज़ोर चाहत में
पुराने घर की दहलीज़ों को सूना छोड़ आए हैं

अक़ीदत से कलाई पर जो इक बच्ची ने बाँधी थी
वो राखी छोड़ आए हैं वो रिश्ता छोड़ आए हैं

किसी की आरज़ू के पाँवों में ज़ंजीर डाली थी
किसी की ऊन की तीली में फंदा छोड़ आए हैं

पकाकर रोटियाँ रखती थी माँ जिसमें सलीक़े से
निकलते वक़्त वो रोटी की डलिया छोड़ आए हैं

जो इक पतली सड़क उन्नाव से मोहान जाती है
वहीं हसरत के ख़्वाबों को भटकता छोड़ आए हैं

यक़ीं आता नहीं, लगता है कच्ची नींद में शायद
हम अपना घर गली अपना मोहल्ला छोड़ आए हैं

हमारे लौट आने की दुआएँ करता रहता है
हम अपनी छत पे जो चिड़ियों का जत्था छोड़ आए हैं

हमें हिजरत की इस अन्धी गुफ़ा में याद आता है
अजन्ता छोड़ आए हैं एलोरा छोड़ आए हैं

सभी त्योहार मिलजुल कर मनाते थे वहाँ जब थे
दिवाली छोड़ आए हैं दशहरा छोड़ आए हैं

हमें सूरज की किरनें इस लिए तक़लीफ़ देती हैं
अवध की शाम काशी का सवेरा छोड़ आए हैं

गले मिलती हुई नदियाँ गले मिलते हुए मज़हब
इलाहाबाद में कैसा नज़ारा छोड़ आए हैं

हम अपने साथ तस्वीरें तो ले आए हैं शादी की
किसी शायर ने लिक्खा था जो सेहरा छोड़ आए हैं

5 comments:

chandan pandey ने कहा…

मुहाजिर शब्द से याद आया। इस नाम की एक फिल्म है। बेहतर फिल्म। ओमपुरी का बेहतरीन अभिनय।

सहसपुरिया ने कहा…

BAHUT KHOOB

Amrendra Nath Tripathi ने कहा…

इतनी अच्छी लगी की कई बार पढ़ा ... आभार !

शशिभूषण ने कहा…

बड़ी मार्मिक है.ज़्यादा कहने को शब्द नहीं है.ऐसे ही कभी कभी लगता है मुझे भी मुझे घर-गाँव छोड़ना पड़ा,लोग कहते हैं घूरे में थे शहर आए हैं.

सागर ने कहा…

छोड़ आये हम भी वो गलियां