पुनीत की कवितायेँ


आप पुनीत से मिलेंगे तो मेरे इस हंसमुख युवा दोस्त की आँखों में एक अजीब सा खलल दिखेगा आप को उसका एक मासूम सा सपना है जिसे करोडो आँखें अलग अलग समय में देखती रही हैं वो इस दुनिया से खुश नहीं है और एक दिन इसे बदल देना चाहता है पुनीत को पढना अच्छा लगता है। वहबहुत अच्छी कवितायेँ लिखता है, रंगकर्म उसे बहुत प्रिय है। इन दिनों वह मायएफएम इंदौर में स्क्रिप्टराईटर है
पुनीत ने मुझसे वादा किया है की वह मित्र कथाकार चन्दन पाण्डेय की कहानियों पर मेरे ब्लॉग के लिए कुछ लिखेगा उससे पहले पढ़िए पुनीत की कुछ छोटी लेकिन महत्वपूर्ण कवितायें-संदीप


तप



क्रांति का तप
इस तरह हो
कि कोई आपके कमंडलों को
गलाकर
बनाकर
उसकी कॉपर-टी
उसे लगा दे
क्रांति के योनिद्वार पे
और आपको
पता भी चले



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वो कबूतरों की बात करता है



वो कबूतरों की बात करता है
उसके कई कबूतरखाने हैं
वो अमन की बात करता है
उसकी छत पे भी कबूतर उड़ते है
वो लगातार अमन की बात
कर रहा है
और चाहता है कि
हर चीज़ अमन कि तरह सफ़ेद हो जाए
हमारा खून भी
घटना-स्थल पर फैला हुआ
सफ़ेद खून
पुलिस कि मार से मुँह से निकला
सफ़ेद खून
उसने खून को
दूध भी कह दिया है
वो लगातार अमन कि बात कर रहा है
हाँ,
उसका खून अमन कि तरह
सफ़ेद है
क्यूँकी वो सफ़ेद कबूतर खता है
हमारा खून क्रांति कि तरह
लाल
क्यूँकी हम लाल गेंहू खाते हैं
उसका अमन का सफ़ेद कबूतर अन्दर से
लाल निकलता है
हमारा क्रांति का लाल गेंहू
अन्दर से सफ़ेद
वो कबूतरों की बात करता है
उसके कई कबूतरखाने हैं
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12 comments:

सागर ने कहा…

दोनों कवितायेँ अच्छी लगी विशेष कर पहली ... प्रयोग के हिसाब से भी और अर्थ से हिसाब से भी...

Shrikant Dubey ने कहा…

पुनीत साहब तो खतरनाक निकले. इनको बधाई और आपका शुक्रिया.
श्रीकांत

दिगम्बर नासवा ने कहा…

उफ्फ ... कमाल का लिखा है ... सच में ख़तरनाक ...
आग उगल सकती है आपकी कलाम ... लाजवाब ..... बहुत खूब .........

बेनामी ने कहा…

"बेजोड़" शानदार रचनाओं के लिए आप दोनों को हार्दिक बधाई

Unknown ने कहा…

acchi kavitay h

Unknown ने कहा…

acchi kavitay h

संदीप कुमार ने कहा…

सचिन श्रीवास्तव - shandaar... suni suni see kavitayeN hai... gaye saal ki aakhiri raat puneet ne apne shabdoN se raat kee mismaar kiya tha... ek sambhavnasheel kavi ka swagat..

Rangnath Singh ने कहा…

पुनीत में काव्य-प्रतिभा है। हालांकि उनकी कविता दरकते नैतिकताबोध से आतंकित लगती हैं।

MAYUR ने कहा…

हमें कुछ ऐसे लोग चाहिर जो इस सफ़ेद पड़ रहे खून को सफ़ेद ना होने दे और
हमें ऐसी Diet ना मिले जिससे हम भी अंदर से सफ़ेद हो जायें

---*दोनों कवितायेँ शानदार हैं*---

chandan pandey ने कहा…

बधाई। पुनीत को उनकी कविताओं के लिये।

पुनीत शर्मा ने कहा…

सभी का धन्यवाद

चन्दन : - बधाई के साथ एक टिपण्णी भी होती, तो और अच्छा लगता.....

पुनीत शर्मा ने कहा…

बहुत दिनो बाद इस ब्लाग पर आने का मौका मिला...
आपकी टिप्पणियों के लिए .... धन्यवाद्