
दे दना दन में प्रियदर्शन का हालिया रूप निराश करता है.इस फिल्म में पटकथा के नाम पर है तो सिर्फ सितारों का जमघट, शालीन दिखते छोटे कपड़ों में नाचती गाती शो पीस नायिकाएं, घंटे भर लंबा क्लाइमेक्स और कनफ्यूजन का अंतहीन सिलसिला। इसके अलावा प्रियदर्शन की अन्य फिल्मों की तरह यह भी स्त्री चरित्रों को आब्जेक्ट की तरह पेश करती है इस बार कुछ ज्यादा फूहड़ तरीके से।
फिल्म की शुरुआत में अक्षय कुमार और उनकी मालकिन के कुत्ते के बीच के दृश्य रोचक संभावना पैदा करते हैं लेकिन जैसे जैसे फिल्म आगे बढ़ती है निर्देशक की पकड़ उस पर से ढीली होती जाती है। एक अच्छी संभावनाओं भरी फिल्म का अंत पानी के सैलाब के साथ होता है जिसमें सब कुछ बह जाता है,प्रियदर्शन का निर्देशन, आपका पैसा और समय भी।
थोड़ी बात कहानी पर नितिन और राम दो दोस्त हैं जो सिंगापुर में रहते हैं। हालाँकि उनकी दोस्ती गंभीर है लेकिन इतने सारे कमीने पात्रों के बीच उसे और स्थापित किया जाना चाहिए था. नितिन जहां अपनी पढ़ाई के लिए पिता द्वारा लिए गए कर्ज को चुकता करने के लिए एक दुष्ट अमीर महिला अर्चना पूरण सिंह के यहां नौकर कम ड्राइवर का काम करता है वहीं अपनी मां और बहन के गहने बेचकर भारत से करियर बनाने आया राम कूरियर बॉय के रूप में काम करता है।
दोनों की एक एक अमीर प्रेमिका है जिसके पैसे से उनका खर्च चलता है। अपनी शादी के लिए अमीर बनने की खातिर दोनों ना चाहते हुए अपहरण, लाश और फिरौती के भ्रामक खेल में उलझ जाते हैं। खूबसूरत कैटरीना के हिस्से मासूमियत से मुस्कराने के सिवा कुछ नहीं आया है। शायद इसके अलावा वे कुछ कर भी नहीं सकतीं। समीरा रेड्डी की बात समझ में आती है लेकिन कैटरीना करियर के इतने धांसू दिनांे में ऐसी भूमिकाएं क्यों कर रही हैं। नेहा धूपिया ने पांच मिनट के छोटे से रोल में रंग जमा दिया है। राजपाल और अदिति गोवित्रीकर और चंकी पाण्डेय ने अच्छा अभिनय किया है. टीनू आनंद, शक्ति कपूर, असरानी, भारती का माल हैं. परेश रावल इन दिनों हर हास्य फिल्म में एक सा अभिनय करते हैं. फ़िल्म में संगीत ना ही होता तो बेहतर था।
फिल्म क्या कहना चाहती है- दे दना दन का नाम दे धना धन होना चाहिए था क्योंकि इसका लगभग हर पात्र पैसे के पीछे है. यह फिल्म महिलाओं को हाशिये पर रखती है और उन्हें बहुत बुरी तरह पेश करती है. महिलाओं के साथ मारपीट गाली गलौज के उन्हें बेवकूफ दिखाया गया है. अदिति गोवित्रिकर को लम्पट दिखाना भी इसी कड़ी का हिस्सा है.
प्रियदर्शन को यह सोचना चाहिए की हेरा फेरी से दे दना दन तक के सफ़र में उन्होंने क्या पाया और क्या खोया...