अनिल गोयल भोपाल में रहते हैं। मां पर लिखी गई उनकी कविताएं दिल को छू लेने वाली हैं। उसी चौखट से उनके कविता संग्रह का नाम है। उन्होंने इस बार एक अभिनव प्रयोग किया है संग्रह की प्रत्येक कविता के साथ इंटरनेट से डाउनलोड की गई कोई तस्वीर चस्पा है जाहिर है तस्वीर मां की ही है जो कविता के असर को कई गुना कर देती है...
ब्लागर1
विधवा बुढ़िया
अचानक हो जाती मां
पहली तारीख को
जब लाती पेंशन
जब होती
बहू को जचगी
जब देवी मां के दर्शन को
जाता सारा परिवार
करती चौकीदारी घर की
विधवा बुढ़िया
हो जाती मां
2.
मेरे ही
दूध से मिला बल
इतना
कि मुझपर ही
आजमाया गया
3.
बांझ स्त्री
कोसती है भगवान को
पूतों वाली कोसती है
खुद को
4.
कहां कहां नहीं भटके
औलाद की खातिर
कहां कहां नहीं भटकाया
औलाद ने
8 comments:
karara tamacha maara hai har muktak me...
bahut sundar..
sahaj lekin achook
LA JAWAAB
shandaar
shandar
कविता अच्छी है
अच्छी कविता...........
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