जद्दो जहद के बाद आज घर पर इन्टरनेट लग गया। ऑफिस में ब्लागस्पाट पर बैन है और कैफे जन आसानी से हो नही पता। इस बीच ढेरों ऐसे प्रसंग निकल गए जिनपर लिखने का मन था लेकिन मन मसोस कर रह गया। आज एक बार फ़िर जाने क्यों वैसे ही लग रहा है जैसे पहली बार ब्लॉग पर लिख रहा हूँ । अब नियमित रहूँगा ये वादाहै................
कहानी: एक गुम-सी चोट
10 घंटे पहले
3 comments:
स्वागत है-लिखिए,पढेंगे
kisase aur kaisa waada? Waadon ki umr hi ki kitani hoti hai?! Waada Karana hi sirf aasan hai! Chalo itana toh hua ki ab chaubis ghante online rahoge.
फटाफट नई पोस्ट करो गुरु..इंतजार है
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