इन दिनों मन बहत उदास रहता है पता नही क्यों ???
पाश की चुनिन्दा कवितायें आप लोगों के लिए लाऊंगा बारी बारी से ...
पाश की चुनिन्दा कवितायें आप लोगों के लिए लाऊंगा बारी बारी से ...
मैंने उम्र भर उसके खिलाफ सोचा और लिखा है
अगर उसके अफसोस में पूरा देश ही शामिल है
तो इस देश से मेरा नाम खारिज कर दें
मैं खूब जानता हूं नीले सागरों तक फैले हुए
इस खेतों, खानों,भट्ठों के भारत को
वह ठीक इसी का साधारण-सा एक कोना था
जहां पहली बार
जब दिहाड़ी मजदूर पर उठा थप्पड़ मरोड़ा गया
किसी के खुरदरे बेनाम हाथों में
ठीक वही वक्त था
जब इस कत्ल की साजिश रची गयी
कोई भी पुलिस नहीं खोज पायेगी इस साजिश की जगह
क्योंकि ट्यूबें सिर्फ राजधानी में जगमगाती हैं
और खेतों, खानों व भट्ठों का भारत बहुत अंधेरा है
और ठीक इसी सर्द अंधेरे में होश संभालने पर
जीने के साथ-साथ
पहली बार जब इस जीवन के बारे में सोचना शुरू किया
मैंने खुद को इस कत्ल की साजिश में शामिल पाया
जब भी वीभत्स शोर का खुरा खोज-मिटा कर
मैंने टर्राते हुए टिड्डे को ढूंढ़ना चाहा
अपनी पुरी दुनिया को शामिल देखा है
मैंने हमेशा ही उसे कत्ल किया है
हर परिचित की छाती में ढूंढ़ कर
अगर उसके कातिलों को इस तरह सड़कों पर देखा जाना है
तो मुझे भी मिले बनती सजा
मैं नही चाहता कि सिर्फ इस आधार पर बचता रहूं
कि भजनलाल बिशनोई को मेरा पता मालूम नहीं
इसका जो भी नाम है-गुंडों की सल्तनत का
मैं इसका नागरिक होने पर थूकता हूं
मैं उस पायलट की
चालाक आंखों में चुभता भारत हूं
हां मैं भारत हूं चुभता हुआ उसकी आंखों में
अगर उसका अपना कोई खानदानी भारत है
तो मेरा नाम उसमें से अभी खारिज कर दो।
पाश
2 comments:
पाश, पास होते तो उन्हीं के शब्दों में चिल्लाकर कहता-
सबसे खतरनाक होता है सपनों का मर जाना।
पाश तो कह दिए और आज पूरा मुल्क अपेन सपनों को अपनी आंखों के सामने कुचलता देख रहा है..............
बहुत आभार इस आग परोसती कविता का। आज इस आग और इस के आशय की जरूरत है।
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