एक अजनबी शहर में मर जाने का ख्याल

एक नए शहर में
जिससे अभी आप की जान पहचान भी ठीक से ना हुई हो
मर जाने का ख्याल बहुत अजीब लगता है
ये मौत किसी भी तरह हो सकती है
शायद ऐ बी रोड पर किसी गाडी के नीचे आकर
या फिर अपने कमरे में ही करेंट से
ऐसा भी हो सकता है की बीमारी से लड़ता हुआ चल बसे कोई
हो सकता है संयोग ऐसा हो की अगले कुछ दिनों तक कोई संपर्क भी ना करे
माँ के मोबाइल में बैलेंस ना हो और वो करती रहे फ़ोन का इंतज़ार
दूर देश में बैठी प्रेमिका / पत्नी मशरूफ हो किसी जरूरी काम में
या फिर वो फ़ोन और मेसेज करे और उसे जवाब ही ना मिले
दफ्तर में अचानक लोगों को ख़याल आयेगा की उनके बीच
एक आदमी कम है इन दिनों
ऐसा भी हो सकता है की लोग आपको ढूंढना चाहें
लेकिन उनके पास आपका पता ही ना हो ....

6 comments:

परमजीत सिहँ बाली ने कहा…

एक अजीब सा एहसास।

डॉ .अनुराग ने कहा…

खूब लिखा है दोस्त..खासतौर से ये सोच ....

शशिभूषण ने कहा…

अच्छी लगी.ईमानदारी से इंदौर में ए बी रोड एक्सीडेंट से बहुत डरता रहा मैं भी.यही सोचते हुए सड़क पार करना होता था कि थोड़ी सी चूक और दर्जनों गाड़ियाँ ऊपर.तुमने गौर किया इंदौर में 15 से 30 साल के बीच के लोग बाईक सवारी में ज़्यादातर सड़क में ही रह जाते हैं.

Rajeysha ने कहा…

मौत की कल्‍पना में अक्‍सर मजा आता है

शायद मौत पर भी आता हो ?????

अखिलेश चंद्र ने कहा…
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अखिलेश चंद्र ने कहा…

padhkar kisi ka bhi kaleja moonh ko aa jaaye!!!!!!