रहामान का जादू वाया स्लमडॉग मिलियनेयर




स्लमडॉग मिलियनेयर की जय जयकार दिगदिगंत में गूँज रही है. फ़िल्म को दस ऑस्कर नोमिनेशन मिले हैं. बॉलीवुड के निर्माता निर्देशक कुढ़ रहे हैं की हम क्यों नही ऐसी फिल्में बना पाते, रहमान ग्लोबल हो गए हैं. इस फ़िल्म में उन्होंने न भूतो न भविष्यति किस्म का संगीत दे दिया है एसा टीवी चैनलों का कहना है.....
मैंने फ़िल्म तो नही देखी इसके गीत जरूर सुने हैं. यकीनन रहमान ने कोई पारलोकिक संगीत नही दिया है. इस फ़िल्म में उनका संगीत अपनी ख़ुद की कुछ श्रेष्ठ रचनाओं के आसपास भी नही फटकता.
याद कीजिये..........बॉम्बे, रोजा, ताल. स्वदेश, लगान, गुरु, और ऐसी ही अनेक फिल्मों को....
ऐ हैरते आशिकी....नही सामने.....जिया जले.......तू ही रे............ इनमें से कौन सा गाना है जो जय हो से उन्नीस ठहरता है.
तो फ़िर ये जनज्वार किसलिए किसकी मान्यता के लिए भावविभोर हो रहे हैं हम. उस ऑस्कर के लिए जो हॉलीवुड का अंदरूनी पुरस्कार है जिसमें बाहरी फिल्मों के लिए सिर्फ़ एक श्रेणी है, " बेस्ट फोरेन लैंगुएज फ़िल्म "
और फ़िर स्लमडॉग मिलियनेयर तो अपन ने बनाई भी नही यार, फ़िर ये मारामारी किसलिए क्या कभी एसा होगा की हम हॉलीवुड की नक़ल पर रखे नाम बॉलीवुड की जगह कोई असली नाम ढूंढ पाएंगे...................तब तक के लिए हैं ऑस्कर नोमिनेशन पर खुश होना बंद कर देना चाहिए................



तस्वीर साभार -गूगल

1 comments:

Girindra Nath Jha/ गिरीन्द्र नाथ झा ने कहा…

संदीप दा इसे कहते हैं मार्केटिंग हॉलीवुड का. बॉलीवुड तो बच्चा है अभी