मुझे नहीं पता इस तथ्य में कितनी सच्चाई है लेकिन अगर यह सच है तो फिर इस पर बात की जानी चाहिए। श्रीनगर के लाल चौक पर जाकर तिरंगा फहराने के लिए जिन लोगों का जी हुड़क रहा है। उनके मातृ संगठन राष्टï्रीय स्वयंसेवक संघ का मुख्यालय भारत देश के महाराष्टï्र राज्य के नागपुर शहर में स्थित है। प्राप्त जानकारी के मुताबिक उस मुख्यालय पर आज तक एक दफा भी राष्टï्रीय स्वाभिमान का द्योतक तिरंगा झंडा नहीं फहराया गया है। तो भई क्योंन सुधार का यह कार्य अपने घर से ही शुरू किया जाए। छावनी बन चुके जम्मू कश्मीर के किसी भी हिस्से में तिरंगा फहरा देने भर से अगर उसे भारत का अभिन्न अंग साबित किया जाना सुनिश्चित होता है तो फिर क्यों नहीं वे पाक अधिकृत कश्मीर का रुख करते? क्यों नहीं वे दंतेवाड़ा का रुख करते, क्यों नहीं वे पूर्वोत्तर के किसी राज्य का रुख करते, क्यों नहीं वे इरोम शर्मिला चानू के पक्ष में दो शब्द बोलते? क्या महज इसलिए क्योंकि इन इलाकों में से कोई भी मुस्लिम बहुल नहीं है???
दरअसल भाजपा की इस खतरनाक कोशिश के लिए तमाशा या शरारत जैसे शब्द बहुत मासूम पड़ जाते हैं। यह जाहिर तौर पर मुस्लिम बहुल कश्मीर घाटी में सांप्रदायिकता का जहर घोलने की बदनीयत ही है जो उसे ऐसा करने के लिए प्रेरित कर रही है। हर पांचवे साल चुनाव के ऐन पहले मंदिर का बुखार जिस पार्टी को पकड़ लेता हो उसकी इन हरकतों के मंसूबे भला क्या छिपेंगे? इस दुस्साहसी आडंबर का अगर कोई परिणाम होगा भी तो वह निश्चित तौर पर देश की एकता अखंडता के लिए और कश्मीरी अवाम के लिए दुखद ही होगा।
धूमिल याद आते हैं ''क्या आजादी सिर्फ तीन थके हुए रंगों का नाम है, जिन्हें एक पहिया ढोता है या इसका कोई और मतलब भी होता है?
निश्चित तौर पर इनकी आजादी के मायने एकदम जुदा हैं।
जयश्री सी.कंबार की कविताऍं
7 घंटे पहले
9 comments:
जम्मू क्षेत्र को छोड़ दें तो कश्मीर में तो सांप्रदायिकता पहले ही पाकिस्तान ने फैला रखी है। उसी का परिणाम है कि आज वहां से लाखों कश्मीरी हिंदू बेघर घूम रहे हैं और सरकार ने आज तक उनके लिए कोई इंतजाम नहीं किए हैं। उनकी अपराधी भाजपा भी है, ५ प्रतिशत ही सही। क्योंकि ये लोग भी ६ साल सत्ता में रहे हैं। हां पाकिस्तान समर्थक कश्मीरी अलगाववादी जरूर सक्रिय होंगे भाजपा के इस कृत्य से। साथ ही देश की जनता में भी यह भ्रम जाएगा कि वह विवादास्पद क्षेत्र है, या पाकिस्तान का हिस्सा है, जहां भाजपाई झंडा फहराने जा रहे थे और सरकार ने उन्हें रोक दिया।
झण्डा उंचा रहे हमारा.
इसमें किसी को शक नहीं कि भाजपा का यह कदम कोइ देशप्रेम नहीं एक राजनीतिक लाभ उठाने का हथकंडा है.. कौन सी पार्टी ऐसा नहीं करती है? पर एक भारतीय को कहीं न कहीं यह जरुर लग रहा है कि चाहे किसी भी मकसद से हो.. अपने देश की जमीन के एक हिस्से पर झंडा फहराने में क्या समस्या है... अगर मामला भडकने की बात है तो सरकार यह कह सकती थी कि इतने बड़े मजमें के साथ नहीं आप कुछ लोग आयें और झंडा फहराकर चले जाएँ... दिल्ली में कोइ आके हमारी सप्रभुता को ठेंगा दिखाते हुए कश्मीर को भारत से अलग बताकर चला जाता है.. उससे साम्प्रदायिकता फैलने का डर नहीं लगता सरकार को... और जम्मू में तिरंगा फहर जाने से दंगा मच जाता... और इस कदम से तो विदेशों में भारत की बड़ी अच्छी इमेज जा रही है न...
अलगाववादियों को सख्तीसे कुचलना ही एकमात्र उपाय है ....और कोई भी पार्टी यह करे तो स्वागत है !
गणतंत्र दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई ...
@Satish Chandra Satyarthi
क्या पाकिस्तान में है लाल चौक?
अब कश्मीर के भी भारत के हाथ से निकल जाने की उम्मीद लग रही है। भाजपा का कहना है कि कश्मीर भारत का अंग है। अब तक सभी भारतीय भी मानते ही रहे हैं। लेकिन अब उस पर विवाद हो गया है।
मुझे याद आ रहा है अयोध्या का मसला। अयोध्या के पड़ोसी जिला गोंडा का निवासी होने के कारण मुझे भी बचपन से थोड़ी बहुत जानकारी मिलती रहती थी। हिंदू अयोध्या के विवावित स्थल को राम जन्मभूमि मानते थे। जो ढांचा ढहाया गया उसका गुंबद मस्जिद जैसा था, लेकिन उसी के नीचे रामलला विराजमान थे। उसमें जाने के लिए एक टूटा-सा, छोटा-सा गेट था, जिसमें सरकारी ताला लगा था। वीर बहादुर सिंह जब मुख्यमंत्री थे तो उसी ताले को खोलने के लिए यात्रा निकली थी और बाद में ताला खुल गया (हालांकि राम भक्तों को ताले से कोई फर्क नहीं पड़ता था, वे बगल के टूटे रास्ते से जाकर दर्शन करते थे)। उसके बाद भारतीय जनता पार्टी ही वह राजनीतिक दल थी, जिसने व्यापक रूप से बताया कि हिंदू जिस इमारत के नीचे पूजा करते हैं और उसे मंदिर मानते हैं, वह मस्जिद है और उन्होंने उस ढांचे को तोड़ डाला।
तोड़े जाने के पहले हिंदू (जिनकी संख्या बहुत ज्यादा थी) उस ढांचे को मंदिर, मुसलमान उसे मस्जिद और कुछ जानकार (सभी धर्मों के) उसे विवादास्पद ढांचा कहते थे। लेकिन भाजपा के पुण्य प्रताप से उसे अब सब लोग मस्जिद कहते हैं। कोई नहीं कहने वाला कि भाजपा ने मंदिर तोड़ दिया या विवादास्पद ढांचा तोड़ दिया। (वैसे भी राम गरीबों के देवता हैं, कोई कारोबारी राम मंदिर के निर्माण में निवेश नहीं करता। जबसे अयोध्या के राम मंदिर में पूंजी आई है, विवाद और गहरा हुआ है)।
लेख लंबा होने के लिए माफी। लेकिन कुछ ऐसा ही दृष्य कश्मीर मसले में भी बन रहा है। अभी तक पाकिस्तान सरकार से मुर्गा-रोटी पाने पाले कुछ लोग (मुसलमान या हिंदू नहीं) लाल चौक पर पाकिस्तान या कोई अन्य झंडा फहराकर या भारत विरोधी नारे लगाकर यह दिखाने की कोशिश करते थे कि कश्मीर का लाल चौक पाकिस्तान का हिस्सा है। या ऐसे ही कुछ लोग दिखाते रहते हैं कि कश्मीर का स्वतंत्र अस्तित्व है। भारतीय जनता पार्टी भी उसी जमात के साथ खड़ी हो गई है और यह दिखाने की कोशिश कर रही है कि कश्मीर भारत का अंग है।
कोई भी भारतीय यह मानने को तैयार नहीं होगा कि कश्मीर पाकिस्तान का अंग है। अगर भाजपा को कश्मीर पर अपना आधिपत्य दिखाना ही है तो वह कश्मीर के उस हिस्से में घुसे, जिसे लेकर आम भारतीय का दिल तड़पता है, जिसे पाकिस्तान ने अवैध रूप से अपने कब्जे में ले रखा है। पाकिस्तान तो हमारी धरती (भारत के कब्जे वाले इलाके) में घुसकर लोगों से कहलाता है कि लाल चौक पाकिस्तान का है। आम लोगों को भाजपा यह दिखाने की कोशिश क्यों कर रही है कि लाल चौक भारत का हिस्सा है। वह तो है ही, वहां के आसपास के हर जिला मुख्यालयों पर शान से तिरंगा फहराया जाता है। खबर तो यह भी आई कि सीआरपीएफ ने लाल चौक पर भी झंडा फहराया है।
अब तो जो लोग कश्मीर को कम जानते हैं उन्हें कुछ ऐसा लगने लगेगा कि लाल चौक भारत का अंग है ही नहीं, जैसे कि राम मंदिर को मस्जिद बताकर तोड़ा गया था।
@सत्येन्द्र जी,
अगर आप मेरी टिप्पणी देखें तो मैंने पहली पंक्ति में ही यह लिखा है कि "इसमें किसी को शक नहीं कि भाजपा का यह कदम कोइ देशप्रेम नहीं एक राजनीतिक लाभ उठाने का हथकंडा है".... मैं खुद धार्मिक सद्भाव और शान्ति का प्रबल समर्थक हूँ... पर मैं आपके इस मत से सहमत नहीं हूँ कि लाल चौक पर झंडा फहरा देने से दुनिया को कश्मीर के भारत का अंग होने पर शक हो जायेगा... बल्कि ये शक तो हमारी उन सरकारों की थोथरी और नपुंसक नीतियों के कारण पैदा हो रहा है जो लाल चौक का नाम लेते ही मिमियाने लगती हैं... वोट की राजनीति के कारण कश्मीर के अलगाववादियों को पाला जा रहा है... वरना आपको लगता है कि भारतीय सेना कश्मीर को पाकिस्तान के किराए के टट्टुओं से छुटकारा दिलाने में अक्षम है? और क्या आपको लगता है कि जम्मू-कश्मीर और दिल्ली की सरकारें लाल चौक पर झंडा फहराने को लेकर इसलिए बौखलाए हुए हैं कि उन्हें कश्मीर के लोगों की शान्ति और सुकून प्रिय है? इसके पीछे कोइ राजनीति नहीं है? अगर सरकार को वास्तव में कश्मीर के लोगों की शान्ति और सुकून प्रिय होता तो वह कश्मीर के लोगों के दुःख-दर्द को कम करने की कोशिश करती, उनसे सौतेला व्यवहार न हो ऐसा प्रयास करती.. और अगर वो ऐसा करती तो उसे यह चिंता न करनी पड़ती कि कोइ लाल चौक पर झंडा फहराएगा तो क्या हो जायेगा... ये तो वही हुआ कि किसी के पैर में चोट हो तो उसको दवा मत दो.. औरों को हडकाते रहो कि उसके पैर को मत छूना .. पैर में दर्द होगा... इससे रोगी को लगेगा कि अगला आदमी उसका सबसे बड़ा शुभचिंतक है..
सतीश जी, भाजपा इतनी गंदी राजनीति करती है कि उससे देश भर में अशांति फैल जाए। चाहे वह मंदिर मसला हो, चाहे झंडा मसला। आज लोगों को भरपेट भोजन नहीं मिल रहा है, महंगाई चरम पर है, हर मंत्रालय आकंठ भ्रष्टाचार में डूबा है। असल मसलों का हवा निकालने के लिए भाजपा ने यह नौटंकी की। आप सही कह रहे हैं कि कश्मीर के लोगों की चिंता नहीं है सरकार को। सरकार की नीति समझ में आती है क्या? आखिर कश्मीर को इतनी आर्थिक मदद क्यों देती है केंद्र सरकार? वहां का हर पत्थरबाज सरकार से तनख्वाह लेता है। नौकरी की चिंता नहीं है, लोग जानते हैं कि भारत को जितनी गालियां दी जाए, सरकार उतना ही पैसा राज्य में झोंकेगी।
लेकिन इसके चलते भाजपा की नौटंकी कैसे बर्दाश्त कर ली जाए? अब तो सब स्पष्ट हो गया। भाजपा भी जीत गई, कांग्रेस भी जीत गई। देश के आम आदमी को क्या मिला?
आजकल अच्छी राजनीति कौन सी पार्टी कर रही हैं?? :)
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