रायपुर। कवि मुक्तिबोध की पत्नी शांता मुक्तिबोध का निधन गुरुवार रात हो गया। उनकी उम्र 88 वर्ष थी। वे लंबे समय से अस्वस्थ चल रही थीं। शुक्रवार सुबह 11 बजे उनका अंतिम संस्कार रायपुर के देवेंद्र नगर श्मशानघाट में किया गया। वे रमेश, दिवाकर, गिरीश व दिलीप मुक्तिबोध की मां थीं। उन्हें मुखाग्नि उनके कनिष्ठ पुत्र गिरीश मुक्तिबोध ने दी।
हिंदी कविता के शीर्ष गजानन माधव मुक्तिबोध के संघर्ष के दिनों में शांता जी ने उनका हर वक्त साथ दिया। इस बात का जिक्र हरिशंकर परसाई, नेमिचंद जैन, अशोक वाजपेयी जैसे साहित्यकारों ने अपने संस्मरणों में किया है। पति के निधन के बाद बच्चों को पढ़ाने-लिखाने के साथ उनको मुकाम दिलाने में शांता जी ने अहम भूमिका निभायी।
अंतिम संस्कार में छत्तीसगढ़ हिंदी ग्रंथ अकादमी के अध्यक्ष व वरिष्ठ पत्रकार रमेश नैयर, दैनिक देशबंधु के स्वामी व प्रधान संपादक ललित सुरजन, प्रेस क्लब अध्यक्ष अनिल पुसदकर, सहारा चैनल के छत्तीसगढ़ ब्यूरो प्रमुख रुचिर गर्ग, छत्तीसगढ़ राज्य बीज एवं कृषि विकास निगम के अध्यक्ष श्याम बैस, ब्रेवरेज कार्पोरेशन के पूर्व अध्यक्ष सच्चिदानंद उपासने, कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विवि के कुलपति सच्चिदानंद जोशी, छत्तीसगढ़ जनसंपर्क विभाग के संचालक उमेश द्विवेदी, नवभारत रायपुर के पूर्व संपादक अनल शुक्ल, नई दुनिया रायपुर के महाप्रबंधक मनोज त्रिवेदी, दैनिक भास्कर के केके सिंह, दैनिक नेशनल लुक के संपादक प्रशांत शर्मा, अधिवक्ता व साहित्यकार कनक तिवारी, पत्रकार व साहित्यकार प्रभाकर चौबे, छत्तीसगढ़ पाठ्यपुस्तक निगम के महाप्रबंधक सुभाष मिश्र, इप्टा छत्तीसगढ़ के महासचिव अरुण काठोटे सहित बड़ी संख्या में पत्रकार, साहित्यकार व गणमान्य नागरिक मौजूद थे।
(साभार : मोहल्ला लाइव )
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4 दिन पहले
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