नेहा का मरना खबर नहीं है

रायपुर की 16 साल की नेहा की मौत किसी के लिए खबर नहीं है। आज के अखबारों ने उसे एक कालम जगह बख्शी है। क्योंकि नीरा राडिया, बरखा दत्त एंड कंपनी के सामने नेहा की जान की कोई कीमत नहीं। मेरी इस पोस्ट का मकसद केवल इतना है कि नेहा की मौत की जो वजह है वह शायद हमारे महानगरों में रहने वाले बहुतेरे लोगों की समझ में ही न आए लेकिन मैं चाहता हूं यह खबर ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचे ताकि वे तय कर पाएं कि उनके अंदर कितनी इंसानियत बाकी है। यह जान लेना बहुत जरूरी है कि नेहा ने अपनी जान क्यों दे दी।

दरअसल रायपुर में रहने वाली 16 साल की नेहा हमारे आपके घर कि किसी भी किशोरी की तरह रही होगी। जिसकी आंखों में सपने होंगे दिल में उम्मीदें लेकिन एक अंतर था। वह देश के 40 करोड़ मध्यम वर्गीय लोगों में से नहीं थी। उसका परिवार बेहद गरीब था। इतना गरीब कि उसके घर में अपना बाथरूम तक नहीं था। नतीजतन नेहा के परिवार को खुले में नहाना पड़ता था। उसके पिता का देहांत हो चुका था। घर में मां के अलावा छोटा भाई था। समाचार पत्रों में प्रकाशित खबरों के मुताबिक नेहा के साथ पढ़ने वाले दो छात्र उसे लगातार छेड़ा करते थे जिन्हें रोकने वाला कोई नहीं था। बहरहाल समाचार पत्रों में घटना के पीछे दिए गए एक दूसरे कारण को पढ़कर मुझे अपनी बेबसी पर बहुत गुस्सा आया। इन दोनों हरामजादों के साथ साथ पूरे मोहल्ले के मर्दों को रोज सुबह उसी समय छत की सैर का ध्यान आया करता था जिस समय नेहा खुले में नहा रही होती थी। रोज रोज की इस शर्मिंदगी की कीमत नेहा ने अपनी जान देकर चुकाई