क्या कोई मुझे बताएगा की ये एनकाउंटर स्पेशलिस्ट क्या बला है

बहुत दिनों से मैं जानना चाहता हूँ कि आख़िर ये एनकाउंटर स्पेशलिस्ट क्या बला है।
क्या ये वाकई कोई पद है जिसका आधिकारिक रूप से सृजन किया गया है या फ़िर ये मीडिया प्रदत्त उपाधि है ।
मैं जानना चाहता हूँ कि कोई एनकाउंटर का स्पेशलिस्ट कैसे हो सकता है? कैसे कोई लोगों को मारने का स्पेशलिस्ट हो सकता है। ये स्पेशलिस्ट लोगों को मारता कैसे है घातलगाकर या आमने सामने कि लड़ाई में या पकड़ कर मुहँ में पिस्टल ठूंस कर........................... कोई मुझे बतायेगा कि ये एनकाउंटर स्पेशलिस्ट क्या बला है ???

तस्वीर साभार : गूगल बाबा

13 comments:

Girindra Nath Jha/ गिरीन्द्र नाथ झा ने कहा…

सवाल उठाने के लिए शुक्रिया भाई, लेकिन गलत समय पर। बचपन से एक चुटकुला सुनते आया हूं- दुनिया में दो तरह के आदमी होते हैं.............एक....और ..। तो आप पुलिस की इस नई परिभाषा को किसने में रखना चाहेंगे।

यहां मैं कहना चाहता हूं कि एनकाउंटर स्पेशलिस्ट पर सवाल उठाने के बजाए व्यवस्था पर सवाल उठाना चाहिए। आगे आपकी मर्जी।
विचारों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता अभी देश में है जनाब।

संदीप कुमार ने कहा…

गिरीन्द्र भाई आप को क्या लगता है एनकाउंटर स्पेशलिस्ट व्यवस्था से बाहर की कोई चीज़ है??
एक बात और आप ने मेरे सवाल का जवाब भी नही दिया.

गोविंद गोयल, श्रीगंगानगर ने कहा…

dhire dhire bol koi sun naa le. narayan narayan

Arun Arora ने कहा…

जी हा ये मिडिया और पुलिस के कुछ खास लोग होते है
१.जैसे नोयेडा मे एक बच्ची की मौत का जिम्मेदार उसके बाप को घोषित कर दिया था
२. जैसे मुंबई मे साधवी और सेना के कुछ लोगो को देशद्रोही सिंद्ध करने के लिये दोनो मेहनत कर रहे है
३. जैसे टीवी के सामने अपनी इमेज बनाने के लिये एटी एस के प्रमुख तैयार हो कर निकले
४. जैसे हरियाणा मे सोनीपत मे छात्रो को उडा दिया
ये लोग किसी को भी देखते ही गोली मार देते है और बाद मे क्यू मारी उसके लिये सबूत जुटाने मे एक्सपर्ट माने जाते है जिसने इनकी सहायता मीडिया करता है और बाद मे ये भी मीडिया करमी को कही से वसूली , कही पलाट पर कब्जा इत्यादी दिलाने मे मदद करते है
इनके पास अचानक नेताओ की तरह पैसे की बौछार होने लगती है
लेकिन जब ये अपने आकाओ के कहने पर अपनी पोसीशन दिखाने लगते है तो इनका हाल अब तक छप्पन जैसा हो जाता है

Arun Arora ने कहा…

आतंकवादियो या देश द्रोही भी कभी कभी गलती से इनसे मर जाते है , जबकी इनकी मंशा कतई ऐसी नही होती

डॉ .अनुराग ने कहा…

हर चीज के अच्छे या बुरे पहलु दोनों होते है ....कुछ अपराधी दुर्दांत ओर एक विशेष परिस्थति में समाज के लिए खतरा होते है ...तब उनसे निबटने के लिए आपको ऐसे लोग ही चाहिए ...तब सिद्दांत हवा में उड़ जाते है

Unknown ने कहा…

"शठे शाठ्यम समाचरेत" की नीति पर काम करने वाले को एनकाउंटर स्पेशलिस्ट कहते हैं, ये एनकाउंटर स्पेशलिस्ट इसलिये कहलाते हैं क्योंकि अपराधी को ये गोली कहीं भी मारें, रिकॉर्ड में यह अक्सर अपराधी के भागते समय ही मारी गई होती है, एक दृष्टि से आप इन्हें "सफ़ाईकर्मी" भी कह सकते हैं, समाज में घुले जहर से जो "अपराधी" नाम की गंदगी बाहर निकलती है उसे ये सफ़ाईकर्मी अपनी सुविधा के अनुसार साफ़ करते चलते हैं… हालांकि "सेकुलर और मानवाधिकारवादी" इस गंदगी को देखकर सिर्फ़ नाक-भौं सिकोड़ते हैं या फ़िर उस गन्दगी को बनाये रखने में अपनी भलाई समझते हैं… जबकि "सफ़ाईकर्मी" अपना काम निष्ठा के साथ करता जाता है…

दिनेशराय द्विवेदी ने कहा…

यह नाम खबर बेचने वालों का दिया हुआ है। उन्हीं से पूछिए। क्या पंगेबाज को टिप्पणी करने के बाद ध्यान आया कि दिल्ली में मरा एनकाउंटर स्पेशलिस्ट भी उन की टिप्पणी की चपेट में आ गया है, इस कारण से सप्लीमेंट्री टिप्पणी करनी पड़ी?

Unknown ने कहा…

सुनने मे आया है कि जिनको भी इनकाउंटर स्पेसलिस्ट क टैग लग जाता है उसके पास पता नहीं कहां से अचानक बहुत पैसा आ जाता है। ज्यादातर इनकाउंटर स्पेसलिस्ट सुत्रॊं द्वारा बताये हुए चोर उचक्कॊ को मारतें हैं।

PD ने कहा…

एक प्वाईंट छूट गया..
5. जैसे महाराष्ट्र में किसी के बिहारी होने के नाम पर ही उड़ा दिया जाता है जबकी उसे आसानी से पकरा भी जा सकता था..

Anil Pusadkar ने कहा…

मीडिया जो न करें वो कम है,इससे पहले किडनी चोर डॉक्टर को किड्नी किँग का टाईटल दे दिया था.

Smart Indian ने कहा…

सवाल में भी दम है मगर पंगेबाज के पंगे (टिप्पणी) ने एनकाउंटर-स्पेशलिस्ट की कलाई खोलकर रख दी है.

Arun Arora ने कहा…

आदरणीय द्विवेदी जी ना मै किसी के प्रति घृणा पालता हू ना ही कही जातिया संप्रदाय ढूढता फ़िरता हू ना ही नेताओ या वकीलो की तरह अपने बंदे ( वकील के केस मे मुवक्किल) के दोष जानते हुये उसेबचाने के लिये कानूनी दाव पेचो / पावर का प्रयोग कर रास्ते ढूढता हू.जो मुझ एअपने नजरिये से ठीक लगे वही करता हू वही लिखता हू . इस सब के लिये मुझे किसी रोशन ख्यालात के वकील या नेता या पत्रकार से राय लेने की जरूरत नही है अभी मेरा जमीर जिंदा है और मै उसके प्रति अपनी जिम्मेदारी समझता हू. मै पैसे कमाने के लिये अपने जमीर को मार करे किसी के गुनाहो को छुपाने का गुनाह नही करता :)