tag:blogger.com,1999:blog-7921784057314610806.post6987499742536081098..comments2023-08-03T17:41:29.390+05:30Comments on दिल-ए-नादाँ: मंटो मेरा महबूब अफसानानिगारसंदीप कुमारhttp://www.blogger.com/profile/01263206934797267503noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-7921784057314610806.post-43278109643545406722010-06-06T14:08:36.959+05:302010-06-06T14:08:36.959+05:30Sir thanks aapne yaad taaza kar di, manto mere v p...Sir thanks aapne yaad taaza kar di, manto mere v priya writers mein se ek hain, well sir aapki koi kavita, 'nirumpma ke liye' ke pehle ya baad mein nahi aayi, ek aduri kavita thi jo bahut pehle aayi thi, 'raat ke do baze bheje email ko....' sir wait kar rahe hain..Bakaithttps://www.blogger.com/profile/03455336387438834986noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7921784057314610806.post-36136191708637050732010-05-12T00:20:56.225+05:302010-05-12T00:20:56.225+05:30Tx AmitabhjiTx Amitabhjiसंदीप कुमारhttps://www.blogger.com/profile/01263206934797267503noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7921784057314610806.post-51628269206648835812010-05-11T21:54:43.920+05:302010-05-11T21:54:43.920+05:30सच !! मंटो ... मेरा भी महबूब अफ़सानानिगार. ..
यहा...सच !! मंटो ... मेरा भी महबूब अफ़सानानिगार. ..<br /><br />यहाँ देखें .. मंटो की कहानियां :<br /><br /><br />http://podcast.hindyugm.com/2009/07/hindi-story-aakhen-by-manto-audio.html<br /><br /><br />http://podcast.hindyugm.com/2009/05/hindi-story-kasauti-by-manto-audio.htmlअमिताभ मीतhttps://www.blogger.com/profile/06968972033134794094noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7921784057314610806.post-12448328340759629522010-05-11T21:34:04.915+05:302010-05-11T21:34:04.915+05:30मंटो तो अजीज हैं ही। जन्मदिन पर स्मरण करने के लिए ...मंटो तो अजीज हैं ही। जन्मदिन पर स्मरण करने के लिए धन्यवाद।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7921784057314610806.post-53083324787266219752010-05-11T19:25:51.887+05:302010-05-11T19:25:51.887+05:30thnx apne kuch shandar padne ka moka diya hthnx apne kuch shandar padne ka moka diya hAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7921784057314610806.post-11789925607833242242010-05-11T17:32:58.170+05:302010-05-11T17:32:58.170+05:30सागर ने मण्टो की जो पंक्तियां कोट की हें ठीक उन्ही...सागर ने मण्टो की जो पंक्तियां कोट की हें ठीक उन्हीं कारणों से वो हमारे पसंदीदा रचनाकार हें।Rangnath Singhhttps://www.blogger.com/profile/01610478806395347189noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7921784057314610806.post-12116412980523548242010-05-11T17:27:48.182+05:302010-05-11T17:27:48.182+05:30इधर उनकी कुछ लघुआ कहानियां हिंद कुञ्ज पर भी मिल जा...इधर उनकी कुछ लघुआ कहानियां हिंद कुञ्ज पर भी मिल जाएँगी...सागरhttps://www.blogger.com/profile/13742050198890044426noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7921784057314610806.post-61902652272015641492010-05-11T17:26:26.323+05:302010-05-11T17:26:26.323+05:30यह सभी कहानियां बीबीसी पर पढ़ी थी... शुक्रिया एक ब...यह सभी कहानियां बीबीसी पर पढ़ी थी... शुक्रिया एक बार फिर से... सहेजकर रखने वाली पोस्ट ....<br /><br />मंटो मेरे भी सबसे पसंदीदा अफसानानिगार हैं मैंने एक लम्बे अरसे तक उनका लिखा अपने प्रोफाइल में लगाये रखा एक बार फिर से यहाँ रख रहा हूँ :---<br /><br />"ज़माने के जिस दौर से हम इस वक़्त गुज़र रहे हैं, अगर आप उससे नावाकिफ़ हैं तो मेरे अफ़साने पढ़िए। अगर आप इन अफ़सानों को बर्दाश्त नहीं कर सकते तो इसका मतलब है कि यह ज़माना नाक़ाबिले-बर्दाश्त है। मुझमें जो बुराईयां है, वो इस अहद की बुराईयां हैं। मेरी तहरीर में कोई नुक्स नहीं। जिस नुक्स को मेरे नाम से मंसूब किया जाता है, दरअस्ल मौजूदा निज़ाम का नुक्स है - मैं हंगामा पसन्द नहीं। मैं लोगों के ख़यालातों-ज़ज्बात में हेजान पैदा करना नहीं चाहता। मैं तहजीबो-तमद्दुन की और सोसायटी की चोली क्या उतारूंगा, जो है ही नंगी। मैं उसे कपड़े पहनाने की कोशिश भी नहीं करता, इसलिए कि यह मेरा काम नहीं... लोग मुझे सियाह क़लम कहते हैं, लेकिन मैं तख्ता-ए-सियाह पर काली चाक से नहीं लिखता, सफ़ेद चाक इस्तेमाल करता हूं कि तख्ता-ए-सियाह की सियाही और ज्यादा नुमायां हो जाए। यह मेरा ख़ास अन्दाज़, मेरा ख़ाज तर्ज़ है जिसे फ़हशनिगारी, तरक्कीपसंद और ख़ुदा मालूम क्या-क्या कुछ कहा जाता है - लानत हो सआदत हसन मंटो पर, कमबख्त को गाली भी सलीके से नहीं दी जाती..."<br /> ----------- सआदत हसन मंटो "दस्तावेज़" सेसागरhttps://www.blogger.com/profile/13742050198890044426noreply@blogger.com