tag:blogger.com,1999:blog-7921784057314610806.post5598464307671407027..comments2023-08-03T17:41:29.390+05:30Comments on दिल-ए-नादाँ: इंटरनेट पर फैल रहा है हिंदी का संसारसंदीप कुमारhttp://www.blogger.com/profile/01263206934797267503noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-7921784057314610806.post-30596512011801826612010-09-28T21:38:56.042+05:302010-09-28T21:38:56.042+05:30यह और बढे यह दुआ ।यह और बढे यह दुआ ।शरद कोकासhttps://www.blogger.com/profile/09435360513561915427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7921784057314610806.post-64005905109199708542010-09-15T13:29:44.541+05:302010-09-15T13:29:44.541+05:30आज के दौर में हिन्दी के प्रचार प्रसार के सकारात्मक...आज के दौर में हिन्दी के प्रचार प्रसार के सकारात्मक प्रयासों को लेकर लिखा हुआ सुचिंतित आलेख. हिन्दी को लेकर मुझे ऐसा लगता है कि जैसे गाँव का कोई सुथरा हुआ बच्चा है जो गाँव में शहरी और शहर में गवईं के सम्बोधन से जाना जाता है. अपने देश और विदेश हर जगह इसे अपनी भाषा नहीं मानने वाले मौजूद हैं, उनके अपने तर्क हैं पर बेहद जुनूनी किस्म और ऐसे वैसे तर्क, उन पर भी बात चलाओ इस ब्लॉग पर. आज की तारीख में विश्व की चौथी सबसे ज्यादा भाषा होते हुए भी जो हाल मेरी हिन्दी का है, वो डराता है. (यहाँ हाल का अर्थ प्रसार के सन्दर्भ में लिया जाये, बौद्धिकता के सन्दर्भ में नहीं, जिससे तुम अभी शशिभूषण जी के फेसबुक स्टेट्स से असहमत भी हुए हो). <br /><br />आज हिन्दी के लिये कोई बहस चले, उससे अच्छी बातें कम ही होगी पर उस बहस में एक अहम बात यह भी कि हिन्दी को अंग्रेजीकरण से ज्यादा एन.बी.टीकरण से बचाने की जरूरत है. तुम्हारा शुक्रिया.चन्दनhttps://www.blogger.com/profile/06676248633038755947noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7921784057314610806.post-68915320812277133982010-09-15T10:15:00.636+05:302010-09-15T10:15:00.636+05:30shukriya bandhu...shukriya bandhu...anurag vatshttps://www.blogger.com/profile/06840124673778359435noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7921784057314610806.post-9382081804217606802010-09-14T21:40:20.019+05:302010-09-14T21:40:20.019+05:30बहुत सारगर्भित आलेख है संदीप भाई, धन्यवाद.बहुत सारगर्भित आलेख है संदीप भाई, धन्यवाद.36solutionshttps://www.blogger.com/profile/03839571548915324084noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7921784057314610806.post-50611221540124228322010-09-14T19:07:26.115+05:302010-09-14T19:07:26.115+05:30बहुत बढ़िया प्रस्तुति ....
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भाषा का सवाल सत्ता के ...बहुत बढ़िया प्रस्तुति ....<br />.<br />भाषा का सवाल सत्ता के साथ बदलता है.अंग्रेज़ी के साथ सत्ता की मौजूदगी हमेशा से रही है. उसे सुनाई ही अंग्रेज़ी पड़ती है और सत्ता चलाने के लिए उसे ज़रुरत भी अंग्रेज़ी की ही पड़ती है,<br />हिंदी दिवस की शुभ कामनाएं<br /><br />एक बार इसे जरुर पढ़े, आपको पसंद आएगा :-<br />(प्यारी सीता, मैं यहाँ खुश हूँ, आशा है तू भी ठीक होगी .....)<br />http://thodamuskurakardekho.blogspot.com/2010/09/blog-post_14.htmlगजेन्द्र सिंहhttps://www.blogger.com/profile/14299561081216186994noreply@blogger.com