tag:blogger.com,1999:blog-7921784057314610806.post2705299500530459006..comments2023-08-03T17:41:29.390+05:30Comments on दिल-ए-नादाँ: प्रभाष जी आपने क्रीज़ क्यों छोड़ दी?संदीप कुमारhttp://www.blogger.com/profile/01263206934797267503noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-7921784057314610806.post-39538670574342150402009-11-06T23:11:30.910+05:302009-11-06T23:11:30.910+05:30सुबह मैंने बी.बी.सी. पर जब यह खबर पढ़ी तो तुम्हें ...सुबह मैंने बी.बी.सी. पर जब यह खबर पढ़ी तो तुम्हें फ़ोन लगाया.तुम सो रहे होगे तो रीवा डॉ.साहब(चंद्रिका प्रसाद चंद्र)का नं.मिलाया.वो इन दिनों बीमार हैं सो उनसे भी बात न हो सकी.मेंरे भीतर खालीपन और आँसू जमा हो रहे थे.किसी से बात करके मैं हल्का होना चाहता था.एक ही बात घुल रही थी मन में कि अब जनसत्ता का संपादकीय पेज क्या सोचकर देखूँगा.चुनौती देनेवाले,अन्याय के खिलाफ़ खड़े होनेवाले हस्तक्षेप कहाँ खोजूँगा.मैं इस समय में ऐसा अभागा हूँ जिसने आज तक एक भी क्रिकेट मैच पूरा नहीं देखा.पर प्रभाष जोषी का क्रिकेट पर लिखा शायद ही छोड़ा हो.वे क्रिकेट के कवि थे.मैं ख़ुद को हल्का करने के लिए आज कक्षाओं में जबरन प्रभाष जोषी पर ही बोलता रहा.एक बात जो मेंरे मुह पर बार बार आ रही थी वो ये कि प्रभाष जी को अभी दुनिया से जाना नहीं था.वो अलविदा कह गए इसमें यही तसल्ली की बात है कि क्रिकेट के इस प्रेमी को मैच देखते ही मरना था.कुछ और करते हुए वो संसार से विदा होते तो शायद उनकी आत्मा को शांति नहीं मिलती.लंच में घर आकर जब तुम्हारा लेख देखा तो इस बात से भर आया कि ऐसी ही बात तुम उसी वक्त में लिख रहे थे.मैं एक बात अक्सर सोचता हूँ कि आज जब बड़े से बड़ा पत्रकार ज़्यादा तनख्वाह की पेशकश पर कोई भी अखबार छोड़ सकता तब प्रभाष जी ने अपना सर्वोत्तम जनसत्ता के लिए दिया.पेशे में सरोकार इसी रास्ते आते हैं.बड़े जनसमूह से कोई इन्हीं शर्तों पर जुड़ता है.करियरिस्ट अवदान सफल होता है पर सार्थक उदात्त श्रम ही होता है.अपने इसी स्वाभाव के कारण प्रभाष जी अवसरवाद के प्रबल आलोचक बने होंगे.उनकी भाषा सबको समझ में आती थी तो यह व्याकरण की नहीं इमानदारी की वजह से था.मैं तो उन पर लगभग निर्भर करने लगा था कि इस विषय पर प्रभाष जी को पढकर अंतिम राय बनाउँगा.अब ऐसी कोई आश्वस्ति मेरे सामने नही होगी.पिछले दिनों जगदीश्वर चतुर्वेदी आदि उनका जिस तरह चरित्र हनन कर रहे थे उससे मैं बहुत आहत था.सुबह ईन्हीं महोदय की मोहल्ला लाइव पर श्रद्धांजली देखी तो चर्चित लेखक कांतिकुमार जैन का आचरण याद आ गया.कांतिकुमार जैन ने शिवमंगल सिंह सुमन का ऐसा ही चरित्र हनन चंद्रबरदाई का मंगल आचरण नामक संस्मरण लिख कर किया था.इसके कुछ ही दिनों बाद जब उनकी मृत्यु हुई तो हंस में ही बड़ी विह्वल श्रद्धांजली लिखी.ऐसे समर्थ लोग अपनी ही बात की लाज नहीं रख पाते.यह ज्यादा चिंताजनक है.यार,प्रभाष जी का मूल्यांकन करने को काफ़ी लोग हैं.हम तुम कहाँ लगते हैं.मैं उनके अवदान को किसी पैमाने में कस सकूँ इस लायक भी नहीं.सिर्फ़ तुमसे कुछ बाँटना चाहता हूँ.क्योंकि यह दिली मजबूरी लग रही है.यहाँ तमिलनाडु में बारिश का मौसम शुरू ही हुआ है.पिछले तीन दिन से बारिश हो रही है.सुबह खबर पढ़ने के बाद जब मैं खाना खाने बैठा तो लगा शमशान से लौटा हूँ और प्रभाष जी के अंतिम संस्कार के बाद पत्तल फाड़ने की हृदय विदारक रस्म में बैठा हूँ.मैं दिन भर समझना चाहता रहा कि जिससे एक बार भी नही मिला उसके बारे में ऐसा क्यों लग रहा है जैसे अपने ही घर का कोई बुजुर्ग हमेशा के लिए छोड़कर चला गया.इसे नियति भी मान लूँ तो इससे उदासी बढ़ती है कि अब चरमपंथियों,अवसरवादियों,भ्रष्टों,सरोकारों से विमुख लोंगों को कौन ललकार कर लिखेगा?किसकी विनम्र हिदायतें श्रेष्ठ का सम्मान करना सिखाएँगी?-शशिभूषणशशिभूषणhttps://www.blogger.com/profile/15611262078016168965noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7921784057314610806.post-46935600444048974902009-11-06T21:37:30.359+05:302009-11-06T21:37:30.359+05:30प्रभाष जी की स्मृतियों को नमन। विचारों पर करें अम...प्रभाष जी की स्मृतियों को नमन। विचारों पर करें अमल। विनम्र श्रद्धांजलि।अविनाश वाचस्पतिhttps://www.blogger.com/profile/05081322291051590431noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7921784057314610806.post-64472610304719485732009-11-06T12:25:07.635+05:302009-11-06T12:25:07.635+05:30Tum sahi kah rahe ho chandanTum sahi kah rahe ho chandanसंदीप कुमारhttps://www.blogger.com/profile/01263206934797267503noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7921784057314610806.post-91057489285463632272009-11-06T11:53:36.668+05:302009-11-06T11:53:36.668+05:30प्रभाष जी का जाना धीरे धीरे अखरेगा, सन्दीप। उनकी भ...प्रभाष जी का जाना धीरे धीरे अखरेगा, सन्दीप। उनकी भाषा, उनका लगातार लिखना, सब कुछ। कल सचिन की शानदार पारी की खुमारी के बाद यह खबर बेहद उदास कर गई।chandannoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7921784057314610806.post-77159348772154814342009-11-06T11:15:13.005+05:302009-11-06T11:15:13.005+05:30behad umda aur dil ke kareeb,
ambarish pandeybehad umda aur dil ke kareeb,<br /> ambarish pandeyअम्बरीश पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/15876979604645832881noreply@blogger.com