tag:blogger.com,1999:blog-7921784057314610806.post544589942157004473..comments2023-08-03T17:41:29.390+05:30Comments on दिल-ए-नादाँ: अभी आंखों में ताव है बाकीसंदीप कुमारhttp://www.blogger.com/profile/01263206934797267503noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-7921784057314610806.post-33845014937342067112011-03-30T12:03:12.573+05:302011-03-30T12:03:12.573+05:30बहुत खूब। सच बात तो यह है कि काम कोई भी हो और कहीं...बहुत खूब। सच बात तो यह है कि काम कोई भी हो और कहीं भी हो लेकिन अगर आदमी अपने अंदर की खूबसूरती को पहचान कर उसके अनुरूप जीना सीख ले तो आस पास का खराब माहौल भी कुछ बिगाड़ नहीं सकता। फिर तो काम बोझ या परेशानी नहीं आनंद का विषय बन जाता है। अनिल कुमार जी के अंदर खूबसूरत विचार हैं और जो उन्हें आगे बढऩे की प्रेरणा देता है। यही बात उनकी गजल में दिख भी रही है।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7921784057314610806.post-20754607125538062572011-03-30T12:03:10.965+05:302011-03-30T12:03:10.965+05:30बहुत खूब। सच बात तो यह है कि काम कोई भी हो और कहीं...बहुत खूब। सच बात तो यह है कि काम कोई भी हो और कहीं भी हो लेकिन अगर आदमी अपने अंदर की खूबसूरती को पहचान कर उसके अनुरूप जीना सीख ले तो आस पास का खराब माहौल भी कुछ बिगाड़ नहीं सकता। फिर तो काम बोझ या परेशानी नहीं आनंद का विषय बन जाता है। अनिल कुमार जी के अंदर खूबसूरत विचार हैं और जो उन्हें आगे बढऩे की प्रेरणा देता है। यही बात उनकी गजल में दिख भी रही है।Anonymousnoreply@blogger.com