tag:blogger.com,1999:blog-7921784057314610806.post1283768580120580261..comments2023-08-03T17:41:29.390+05:30Comments on दिल-ए-नादाँ: किसका जूता, किसका सर...संदीप कुमारhttp://www.blogger.com/profile/01263206934797267503noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-7921784057314610806.post-70684956754871515062010-02-08T11:44:12.385+05:302010-02-08T11:44:12.385+05:30फिल्म और गीतों की दुनिया में ये चलता रहता है... गु...फिल्म और गीतों की दुनिया में ये चलता रहता है... गुलज़ार ने दिल में भी ग़ालिब का शेर लाया था... इश्क पर जोर नहीं... इससे मिलती जुलती पोस्ट किसी और ब्लॉग पर भी पढ़ी थी... शायद "एक शाम मेरे नाम पर" जिसमें सर्वेश्वर जी का जिक्र था... पर गुलज़ार पर कुछ कहना... एक हिमाकत जैसा लगता है... मामला जैसा भी हो अगर साफ़ नियत से किया गया हो तो अच्छा रहेगा...सागरhttps://www.blogger.com/profile/13742050198890044426noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7921784057314610806.post-88885129948373838652010-02-07T18:13:56.799+05:302010-02-07T18:13:56.799+05:30GulZar is fake.......yh barson pahle padha tha Kai...GulZar is fake.......yh barson pahle padha tha Kaifi ke munh se, tab samajh nahi ayaa tha, phir aane laga, ab apki samajh men bhi aa gayaEk ziddi dhunhttps://www.blogger.com/profile/05414056006358482570noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7921784057314610806.post-36092107978091254302010-02-07T13:14:34.386+05:302010-02-07T13:14:34.386+05:30संदीप जी गुलज़ार ने अपनी बात कह दी है .....तीन दिन ...संदीप जी गुलज़ार ने अपनी बात कह दी है .....तीन दिन पहले के टाइम्स ऑफ़ इंडिया में ....बरसो पहले एक गीत आया था ."दिल ढूंढता है फिर बही "...ग़ालिब से प्रेरित होकर ......उसके बाद "राह पर रहते है "नमकीन फिल्म का गाना ....वो भी प्रेरित था ..यानि मुखड़ा उठा कर .....अभी गुलाल का फेमस गीत ये दुनिया गर मिल भी जाए तो क्या है .....साहिर को नए तरीके से देखना था ...बात नीयत की है जैसे विशाल ने अपनी फिल्मो में शेक्सपियर हा हवाला दिया है ....ओर विधु ने कहा के अधिकार खरीद लिए तो कही भी डाले ....सक्सेना जी की पोएम हमने भी पढ़ी है ओर याद है .....इब्नेबतुता एक एतेहासिक चरित्र है......डॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7921784057314610806.post-16590683298465116212010-02-07T00:26:55.130+05:302010-02-07T00:26:55.130+05:30ज्योत्सना जी लेखक ने महज अपनी राय व्यक्त की है। इत...ज्योत्सना जी लेखक ने महज अपनी राय व्यक्त की है। इतने में आप उनकी पत्रकारिता पर सवाल क्यों उठा रही हैं। यहां बात मोहब्बत और देशप्रेम जैसे स्पेसिफिक सब्जेक्ट्स की नहीं हो रही है। यहां बात एक जनकवि के बालगीत के मुख्यअंश का बगैर आभार प्रकट किए इस्तेमाल किए जाने की हो रही है। <br />गुलजार को सामने आकर इस बात का जवाब देना चाहिए क्या सार्वजनिक छवि वाले इस लोकप्रिय व्यक्तित्व से इतनी अपेक्षा भी नहीं की जानी चाहिए। गीत सर्वेश्वरदयालजी के गीत से प्रेरित नहीं है यह कहना नासमझी होगी। कड़े शब्दों में यह साहित्यिक चोरी का मामला है। आप अपनी सहानुभूति गुलजार के साथ रखें लेकिन इस मुद्दे पर वो गलत हैं तो क्या किया जाए।संदीप कुमारhttps://www.blogger.com/profile/01263206934797267503noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7921784057314610806.post-18667511405073644612010-02-07T00:02:14.390+05:302010-02-07T00:02:14.390+05:30और कोई भी पूरे कविता और गीत की तुलना नहीं कर रहा ह...और कोई भी पूरे कविता और गीत की तुलना नहीं कर रहा है. इब्नबतूता और जूता शब्द को छोड़ दो तो कहीं कोई मेल नहीं है.<br /><br />सैंकड़ों हिंदी गीत हैं जिनमें यह पंक्ति आती है "मुझे तुमसे मोहब्बत है", क्या तब भी गीतकारों पर चोरी का केस बनेगा?<br /><br />सैंकड़ों गीत हैं जिनमें ये पंक्ति आती है "भारत देश हमारा है", क्या तब भी गीतकारों पर चोरी का केस बनेगा?<br /><br />कैसे पत्रकार हो तुम भाई?Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7921784057314610806.post-39642014562546263432010-02-06T23:57:55.871+05:302010-02-06T23:57:55.871+05:30"इब्नबतूता पहन के जूता निकल पड़े तूफ़ान में&quo..."इब्नबतूता पहन के जूता निकल पड़े तूफ़ान में" - ये सक्सेना जी की बाल कविता का मुखड़ा है.<br /><br />"इब्नबतूता बगल में जूता पहने तो करता है चुर्र्र" - ये गुलज़ार के गीत का मुखड़ा है.<br /><br />इसमें कोई मेल नहीं है. न तो शब्द के बल पर और न ही तर्ज़ के बल पर.<br /><br />इब्नबतूता कोई ट्रेडमार्क या कॉपीराईट नहीं है. और इसकी तुक जूता से बनती है. एक घुमंतू गाने में गुलज़ार ने इनको मिला दिया, बस.<br /><br />मामला साफ़ है, गुलज़ार पर चोरी का इलज़ाम लगाना हास्यास्पद है.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7921784057314610806.post-69161057650903163672010-02-06T23:30:21.165+05:302010-02-06T23:30:21.165+05:30आम तोर पर बडे लेखक कलाकार एेसा ही कर रहे हैं। आैर ...आम तोर पर बडे लेखक कलाकार एेसा ही कर रहे हैं। आैर वह इसे गलत नही मानतें।bijnior districthttps://www.blogger.com/profile/02245457778160306799noreply@blogger.com