लाई हयात आए, कज़ा ले चली चले
अपनी खुशी न आए न अपनी खुशी चले
कम होंगे इस बिसात पे हम जैसे बदकिमार
जो चाल हम चले वो निहायत बुरी चले...
जीवन को कभी नहीं थामा जैसे उसने चलना चाहा चलने दिया
अरसे तक आवारगी की...शौकिया तौर पर रेडियो कंपियरिंग और एनाउंसिंग की.. और उसके बाद हम पत्रकार हुए